चंद्रयान 3 भारत का, यह एक पड़ाव गगन का है | कविता





एक दृष्टि-

ध्येय सुनिश्चित करते जो 

संकल्प लिए जो बढ़ते हैं।

साधना अहर्निश जो करते 

विजय शिखर वो चढ़ते हैं।।


चन्द्र यान तीन भारत का 

य़ह एक पड़ाव गगन का है।

आगे जाना है बहुत अभी 

य़ह नीव सुदृढ़ भवन का है।।


वह हैँ स्वर्णिम स्वप्न लिए 

अनथक अविराम बढ़ेंगे ही।

वे होगे सफल सुनिश्चित है 

मानवता के मार्ग गढ़ेंगे ही।।


हम भी लें संकल्प आज 

जो कार्य हमारे लिए बना।

है दायित्व हमारा सर्वोत्तम 

प्रस्फुटित करें उसमें सपना।।

रचयिता : श्री बृजेन्द्र पाल सिंह, लोक भारती

Post a Comment

और नया पुराने