Bushra Aslam | कानून न्याय के लिए होता है,दंड के लिए नही। ऐसा ही ऐतिहासिक कदम उठाते हुए भारत सरकार ने लंबी चर्चा और चार साल के गहन विचार विमर्श के बाद अंग्रेज़ो के बनाए तीन महत्वपूर्ण कानूनो को खत्म कर,संसद मे तीन नए कानून पेश किए है। भारत में लोकतंत्र है और सबको बोलने का अधिकार है इसलिए नए कानून में राजद्रोह जैसे कानूनों को खत्म कर दिया गया है, महिला और बच्चो के शोषण, मॉब लिंचिग जैसे अपराधों के लिए मृत्युदण्ड का प्रावधान किया गया है। जहाँ कानून मे पहले आतंकवाद की कोई व्याख्या नहीं थी,अब सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियां, अलगाववाद,भारत की एकता, संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देने जैसे अपराधों की पहली बार इस कानून में व्याख्या की गई है.
अनुपस्थिति में ट्रायल के बारे में एक ऐतिहासिक फैसला किया है, अब भगोड़ा घोषित व्यक्ति की अनुपस्थिति में ट्रायल होगा और सज़ा भी सुनाई जाएगी।
कानून में कुल 313 बदलाव किए गए हैं जो हमारे क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में एक आमूलचूल परिवर्तन लाएंगे और किसी को भी अधिकतम 3 वर्षों में न्याय मिल सकेगा.इस कानून में महिलाओं और बच्चो का विशेष ध्यान रखा गया है, अपराधियों को सज़ा मिले ये सुनिश्चित किया गया है और पुलिस अपने अधिकारों का दुरुपयोग न कर सके,ऐसे प्रावधान भी किए गए हैं.उममीद यही है कि, ये परिवर्तन नागरिक अधिकारो की रक्षा,समय अनुसार समाज का हित बनाए रखने मे प्रभावी होगा।
देश के प्रत्येक नागरिक को ये जानने की उत्सुकता है कि, क्या है ये नया कानून और इसकी धाराए-
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 लोकसभा में पेश किए. जो अंग्रेजों द्वारा बनाए गए और अंग्रेजी संसद में पारित किए गए इंडियन पीनल कोड (आईपीसी) 1860, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (सीआरपीसी) 1898, 1973 और इंडियन एवीडेंस एक्ट (आईएए) 1872 कानूनों को रिप्लेस करेंगे. इंडियन पीनल कोड 1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023 स्थापित होगा. क्रिमिनल प्रोसीजर कोड 1898 की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और इंडियन एवीडेंस एक्ट 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 स्थापित होगा.
नए कानून में होंगी इतनी धाराएं-
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता जो CRPC को रिप्लेस करेगी, उसमें अब 533 धाराएं रहेंगी. जबकि अब तक इसमें 478 धाराएं थी. 160 धाराओं को बदल दिया गया है। 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं जबकि 9 धाराओं को निरस्त किया गया है.
इसी तरह भारतीय न्याय संहिता, जो IPC को रिप्लेस करेगी, में पहले की 511 धाराओं के स्थान पर अब 356 धाराएं होंगी. 175 धाराओं में बदलाव किया गया है। 8 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 22 धाराओं को निरस्त किया गया है.
इसी तरह भारतीय साक्ष्य विधेयक, जो Evidence Act को रिप्लेस करेगा, उसमें पहले की 167 के स्थान पर अब 170 धाराएं होंगी। 23 धाराओं में बदलाव किया गया है। 1 नई धारा जोड़ी गई है और 5 धाराएं निरस्त की गई हैं. कानून में दस्तावेज़ों की परिभाषा का विस्तार कर इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड्स, ई-मेल, सर्वर लॉग्स, कम्प्यूटर, स्मार्ट फोन, लैपटॉप्स, एसएमएस, वेबसाइट, लोकेशनल साक्ष्य, डिवाइस पर उपलब्ध मेल, मैसेजेस को कानूनी वैधता दी गई है. FIR से केस डायरी, केस डायरी से चार्जशीट और चार्जशीट से जजमेंट तक की सारी प्रक्रिया को डिजिटलाइज़ करने का प्रावधान इस कानून में किया गया है. सर्च और ज़ब्ती के वक़्त वीडियोग्राफी को कंपल्सरी कर दिया गया है जो केस का हिस्सा होगी और इससे निर्दोष नागरिकों को फंसाया नहीं जा सकेगा, पुलिस द्वारा ऐसी रिकॉर्डिंग के बिना कोई भी चार्जशीट वैध नहीं होगी।
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