इसरो का मिशन चंद्रयान 3 पूरी तरह से सफल रहा क्योंकि इसने धरती से लगभग 3 लाख ८४ हज़ार किलोमीटर की दूरी तय करके चाँद पर अपने तीनो लक्ष्य पूरे किये:
पहला : विक्रम लैंडर की चन्द्रमा के
दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग
दूसरा : चन्द्रमा की सतह पर रोवर
प्रज्ञान को चलाना
और तीसरा : चाँद की सतह का वैज्ञानिक
परिक्षण करना
चाँद के दक्षिणी ध्रुव की धरती पर
दस्तक देना इतना मुश्किल था कि विश्व के बड़े बड़े देश ऐसा नहीं कर पाए. अमेरिका की
अंतरिक्ष एजेंसी नासा, यूरोपियन यूनियन की स्पेस एजेंसी, चीन और रूस भी आजतक चाँद
के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं पहुच पाए हैं. मगर अब भारतीय एजेंसी इसरो के चंद्रयान 3
की सफल लैंडिंग के बाद चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव के रहस्यों से पर्दा उठना शुरू
हो गया है. दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रमा की सतह के ऊपर का तापमान ५०
डिग्री सेल्सियस है। वहीं सतह के नीचे सिर्फ 2 से 3 सेंटीमीटर जाने पर तापमान
शून्य से 10 डिग्री सेल्सियस नीचे तक गिर जाता है। इसका सीधा सा मतलब है चाँद की
मिटटी की ऊपरी सतह उष्मारोधी है जो सूरज की गर्मी को सतह के नीचे नहीं जाने देती. यहाँ
बर्फ के विशाल भण्डार होने के संकेत तो मिल ही रहे हैं साथ ही प्रज्ञान रोवर चाँद
पर जीवन की संभावनाएं भी तलाश रहा है.
चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ के विशाल भण्डार मिलने से चाँद पर इंसानी बस्ती बसाने का रास्ता साफ़ हो जायेगा.
इंसानों को चाँद रहने के लिए जिन
बुनियादी चीज़ों की ज़रूरत है उसमे ऑक्सीजन, भोजन, और पानी सर्वाधिक महत्वपूर्ण है. पानी
यानि H2O, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से मिलकर बना है और अगर चाँद पर पानी मिल गया
है तो उस पानी से ऑक्सीजन बनायीं जा सकती है. पानी से चाँद पर खेती की जा सकती है
क्योंकि चाँद की मिटटी में पौधा उगाने का सफल परीक्षण बहुत पहले ही किया जा
चुका है.
पानी से चाँद के उस हिस्से में भी बिजली पैदा की जा सकती है जहाँ सूरज की रौशनी नहीं पहुँचती.
मतलब अगर चाँद पर मानव बस्ती बसानी
है तो वहाँ बर्फ के ये विशाल भण्डार मानव जीवन के लिए ऑक्सीजन, भोजन और पानी के साथ साथ उर्जा के लिए बिजली भी
बनायेंगे. हालाँकि ये अभी शुरुआत है लेकिन अब वो दिन भी दूर नहीं जब इन कल्पनाओं
को साकार करके इंसान चाँद पर बस्ती बसा लेगा. चंद्रयान 3, मानव सभ्यता का अंतरिक्ष
में एक मज़बूत कदम है जिससे आने वाले समय में इंसान का चाँद पर चहलकदमी करना आसान
हो जायेगा.
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