हर राज्य को अपना स्थापना दिन मनाना चाहिए : राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

राज्यों के बीच परस्पर सांस्कृतिक आदान प्रदान को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब जैसे राज्यों के स्थापना दिवस इस दिशा में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं। इससे राष्ट्रीयता और एकात्मता और सशक्त होगी। यह कहना है महाराष्ट्र दिवस पर लखनऊ में प्रस्तुति देने आए मुम्बई के मशहूर गायक प्रशांत कालूंद्रेकर का। संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश के कम्युनिटी और वेब रेडियो “जयघोष” की आर.जे. राधेश्याम दीक्षित को दिये साक्षात्कार में उन्होंने “जय महाराष्ट्र माझा” खास जयघोष के श्रोताओं के लिए गाकर भी सुनाया।

महाराष्ट्र राज्य की स्थापना 1 मई 1960 को हुई थी। उसकी स्मृति में सोमवार एक मई को लखनऊ के कैसरबाग स्थित भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय के कलामंडपम ऑडिटोरियम में मराठा समाज उत्तर प्रदेश की ओर से महाराष्ट्र दिवस मनाया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि “हर राज्य को अपना स्थापना दिन मनाना चाहिए। इससे हमारी नई पीढ़ी को राज्य के इतिहास के बारे में जानकारी हासिल होती है। मुझे याद है 1956 में महागुजरात आंदोलन चलता था। महागुजरात जिंदाबाद के नारों के साथ जुलूस निकलते थे। 1960 में गुजरात और महाराष्ट्र अलग हुए। जिस तरह से गुजरात का विकास हुआ। उसी तरह से महाराष्ट्र का भी विकास हुआ”।

मराठा समाज के संस्थापक अध्यक्ष उमेश कुमार पाटिल की अगुआई में आयोजित स्वरांजलि कार्यक्रम में मुम्बई के ठाणे से आमंत्रित मशहूर गायक प्रशांत कालूंद्रेकर ने “चदरिया झीनी रे झीनी” जैसे एक से बढ़कर एक हिंदी और मराठी भाषा के गीत सुनाए। सुरों की इस मधुर यात्रा में सुधि श्रोताओं ने “माझे जीवन गाणे”, “शब्दावाचून कळले सारे”, “माझे माहेर पंढरी”, “अवघे गर्जे पंढरपूर”, “हे सुरानो चंद्र व्हा”, “लाजून हासणे अन्”, “वृंदावनी वेणू”, “बाजे रे मुरलिया”, “धन्य भाग सेवा का अवसर पाया” का भरपूर आनंद लिया। तबले पर उनका साथ स्थानीय कलाकार देवानंद पांडे और हारमोनियम पर प्रज्योत देवास्कर ने दिया। इस अवसर पर छत्रपति शिवाजी महाराज को नमन भी किया जाएगा। इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र समाज के अध्यक्ष विवेक फड़के और सचिव दिनेश जोशी के साथ-साथ मराठी समाज उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ महामंत्री पांडुरंग राऊत और कोषाध्यक्ष गजानन माने पाटिल उपस्थित रहे।

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