जनजातीय कला का संरक्षण एवं संवर्द्धन करते हुए भावी पीढ़ी तक पहुंचाने के उद्देश्य से प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह की गरिमामयी उपस्थिति में जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया और संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश के लोक एवं जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान के बीच समझौता ज्ञापन पर शनिवार 3 जून को हस्ताक्षर किया गया। इस अवसर पर संस्कृति विभाग के विशेष सचिव अमरनाथ उपाध्याय की उपस्थिति में एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया।
इस अवसर पर पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि दोनों संस्थान अपने अनुभव, क्षमता और दक्षता के माध्यम से जनजातीय कला को समृद्ध बनाने में एक दूसरे के साथ समन्वय करेंगे और जनजातीय समाज के गौरवशाली सांस्कृतिक विविधता को धरातल पर उतारेंगे। उन्होंने बताया कि प्राचीन जनजातीय कला विविधता में एकता के आदर्श को समेटे है। संस्कृति विभाग जनजाति समाज की गौरवशाली संस्कृति को युवाओं तक पहुंचाकर उनका श्रेष्ठतम योगदान लोक कलाओं के संरक्षण एवं संवर्द्धन कर रही है। संस्कृति विभाग की ओर से ग्राम पंचायतों में वाद्ययंत्र भी उपलब्ध करवाए गए हैं वहीं विलुप्ति हो रहे लोकगीत और संगीत को पुनर्जीवित करने का हर संभव प्रयास भी किया जा रहा है। उन्होंने यह जानकारी भी दी कि लोक कलाओं एवं कलाकारों के संरक्षण के लिए अब तक चार हजार ऑनलाइन पंजीकरण भी करवाए जा चुके हैं। लोक कलाओं से जुड़े कलाकारों को विभिन्न अवसरों पर कार्यक्रम प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान किया जा रहा है। इसके साथ ही उनके पारिश्रमिक को सीधे उनके खाते में स्थानान्तरित किया जा रहा है।
लोक एवं जनजातीय कला एवं संस्कृति संस्थान निदेशक अतुल द्विवेदी ने बताया कि अब तक 11 शिक्षण संस्थाओं से समझौता ज्ञापन किया गया है। शनिवार को हुए समझौता ज्ञापन पर लोक एवं जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान के निदेशक अतुल द्विवेदी एवं जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया के कुलपति प्रो.संजीत कुमार गुप्ता ने पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री के आवास पर आयोजित कार्यक्रम में हस्ताक्षर किये।
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