तीस अप्रैल को प्रसारित “मन की बात” का सौवां अध्याय इसलिए खास है क्यों कि यह कोटि-कोटि भारतीय की मन की बात है। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बताया कि यह भारतीयों की भावनाओं का प्रकटीकरण है। विजयादशमी के पर्व से यह यात्रा शुरू हुई थी। विजय के उस पर्व के साथ शुरू हुई यह यात्रा देश की अच्छाइयों और सकारात्मकता का अनोखा पर्व बन गया जो हर माह आता है। इसमें सकारात्मकता और जनभागिता को पर्व मनाते है। उन्होंने अतुल्य भारत अभियान का जिक्र करते हुए कहा कि इसके तहत भारतीयों को कई ऐसे पर्यटन स्थलों की जानकारी हुई जो उनके आसपास ही थे। इसलिए उन्होंने कहा कि भारतीय को चाहिए कि वह विदेशों में पर्यटन करने से पहले देश में ही कम से कम 15 स्थलों का पर्यटन अवश्य करें। उन्होंने इसके साथ ही उन्होंने इसके लिए भी प्रेरित किया कि वह पर्यटन स्थल, पयर्टक के राज्य से बाहर के होने चाहिए। उन्होंने अंत में “चरैवेति चरैवेति” का संदेश दिया।
तीस अप्रैल को प्रसारित “मन की बात” का सौवां अध्याय इसलिए खास है क्यों कि यह कोटि-कोटि भारतीय की मन की बात है। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बताया कि यह भारतीयों की भावनाओं का प्रकटीकरण है। विजयादशमी के पर्व से यह यात्रा शुरू हुई थी। विजय के उस पर्व के साथ शुरू हुई यह यात्रा देश की अच्छाइयों और सकारात्मकता का अनोखा पर्व बन गया जो हर माह आता है। इसमें सकारात्मकता और जनभागिता को पर्व मनाते है। उन्होंने अतुल्य भारत अभियान का जिक्र करते हुए कहा कि इसके तहत भारतीयों को कई ऐसे पर्यटन स्थलों की जानकारी हुई जो उनके आसपास ही थे। इसलिए उन्होंने कहा कि भारतीय को चाहिए कि वह विदेशों में पर्यटन करने से पहले देश में ही कम से कम 15 स्थलों का पर्यटन अवश्य करें। उन्होंने इसके साथ ही उन्होंने इसके लिए भी प्रेरित किया कि वह पर्यटन स्थल, पयर्टक के राज्य से बाहर के होने चाहिए। उन्होंने अंत में “चरैवेति चरैवेति” का संदेश दिया।
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