विज्ञान की दृष्टि से, इडा, पिंगला और सुषुम्ना नाड़ी तंत्रिका श्रेणी में आते हैं जिसमें ऊर्जा का प्रवाह और न्यूरोबायोलॉजिकल प्रक्रियाएं शामिल होती हैं। यह तीनों नाड़ियाँ नर्वस सिस्टम के भाग हैं और शरीर की संतुलन और कार्यक्षमता को नियंत्रित करने में मदद करती हैं। इडा नाड़ी शरीर की बाएं ओर स्थित होती है और शितिल, शांति, शक्ति, रजोगुण, शितलता और शीतलता के साथ जुड़ी होती है। इडा नाड़ी का प्रवाह सिंपैथेटिक नर्वस सिस्टम को नियंत्रित करता है और प्राकृतिक सुख और आराम की स्थिति को संतुलित करता है। पिंगला नाड़ी शरीर की दायें ओर स्थित होती है और गर्म, ऊर्जावान, सक्रिय, सत्वगुण, गर्मी और गतिशीलता के साथ जुड़ी होती है। पिंगला नाड़ी सिंपैथेटिक नर्वस सिस्टम को नियंत्रित करती है और जागरूकता, ऊर्जा और गतिशीलता की स्थिति को संतुलित करती है। सुषुम्ना नाड़ी केंद्रीय नर्वस सिस्टम के साथ जुड़ी होती है और ऊर्जा के प्रवाह को नियंत्रित करती है जिसे कुण्डलिनी शक्ति कहा जाता है। यह नाड़ी मनोवृत्ति, ध्यान, आध्यात्मिकता और समाधि की स्थिति को संतुलित करती है। सुषुम्ना नाड़ी के माध्यम से ऊर्जा के प्रवाह का समान्वय होता है जो अद्वैत और उच्चतम ज्ञान की स्थिति में पहुंचने में मदद करता है। योग और ध्यान के माध्यम से यह नाड़ियों का संतुलन और शक्तिकरण किया जा सकता है, जिससे मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक स्थिति में सुधार होता है। यह विज्ञानिक दृष्टि से इडा, पिंगला और सुषुम्ना नाड़ी का महत्वपूर्ण अध्ययन और उपयोग विभिन्न शारीरिक और मानसिक लाभ प्रदान करने के लिए किया जाता है।
इडा, पिंगला और सुषुम्ना नाड़ी - ऊर्जा का प्रवाह
Jaighosh
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