जानकारी के अनुसार, डॉ. मिश्र मंगलवार को प्रायश्चित पूजन में हिस्सा लिया। अब वे सात दिनों तक यजमान की ही भूमिका में रहेंगे। प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य आयोजन के समय 22 जनवरी को गर्भगृह में प्रधानमंत्री मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, श्रीराम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपालदास, संघ प्रमुख मोहन भागवत और डॉ. अनिल मिश्र अपनी पत्नी के साथ उपस्थित रहेंगे। प्रधानमंत्री मोदी गर्भगृह में अपने हाथ से कुशा और श्लाका खींचेंगे। उसके बाद रामलला के प्राण प्रतिष्ठित हो जाएंगे। उस दिन वह भोग अर्पित करेंगे और आरती भी करेंगे।
मंगलवार को प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या के विवेक सृष्टि आश्रम में अनुष्ठान प्रारंभ हो गया। काशी के पंडितों ने सरयू में स्नान करने के बाद अनुष्ठान का शुभारंभ किया।कार्यक्रम के मुख्य यजमान डॉ. अनिल मिश्रा और प्रतिमा बनाने वाले अरुण योगीराज भी वहां मौजूद हैं। आज प्रायश्चित और कर्म कुटी पूजन किया जाएगा। अनुष्ठान 21 जनवरी तक चलेगा।
रामलला की प्रतिमा 18 जनवरी को गर्भगृह में निर्धारित आसन पर स्थापित कर दी जाएगी। पिछले 70 वर्षों से पूजित वर्तमान प्रतिमा को भी नए मंदिर के गर्भगृह में ही रखा जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में दिन के 12:20 बजे प्राण प्रतिष्ठा का मुख्य अनुष्ठान आरंभ होगा। यह पूजा करीब 40 मिनट तक चलेगी।
प्राण प्रतिष्ठा का महत्व
हिंदू धर्म में प्राण प्रतिष्ठा एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इस अनुष्ठान के बाद मूर्ति में प्राण का संचार होता है और वह मूर्ति जीवंत हो जाती है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्ति में भगवान का वास होता है और लोग उस मूर्ति की पूजा-अर्चना कर सकते हैं।
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन देशभर में लाखों लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है। यह अनुष्ठान हिंदू धर्म के लिए एक ऐतिहासिक घटना है।
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