प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज मन की बात के १०४ वें एपिसोड में भारतवासियों को विश्व संस्कृत दिवस की बहुत बहुत बधाई देते हुए संस्कृत भाषा से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। आइये जानते हैं क्या कहा उन्होंने विश्व संस्कृत दिवस पर..
"मेरे परिवारजनों, इस बार मुझे कई पत्र संस्कृत भाषा में मिले। इसकी वजह यह है कि सावन मास की पूर्णिमा इस तिथि को विश्व संस्कृत दिवस मनाया जाता है। आप सभी को विश्व संस्कृत दिवस की बहुत-बहुत बधाई। हम सब जानते हैं कि संस्कृत दुनिया की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है। इसे कई आधुनिक भाषाओं की जननी भी कहा जाता है। संस्कृत अपनी प्राचीनता के साथ-साथ, अपनी वैज्ञानिकता और व्याकरण के लिए भी जानी जाती है। भारत का कितना ही प्राचीन ज्ञान हजारों वर्षों तक संस्कृत भाषा में ही संरक्षित किया गया। योग, आयुर्वेद, अर्थ, फिलासफी जैसे विषयों पर रिसर्च करने वाले लोग,अब ज्यादा से ज्यादा संस्कृत सीख रहे हैं। कई संस्थान भी इस दिशा में बहुत अच्छा काम कर रहे हैं जैसे की संस्कृत प्रमोशन फाऊंडेशन, संस्कृत फॉर योग, संस्कृत फॉर आयुर्वेद और संस्कृति फॉर बुद्धिस्म कई कोशिश करवाता है। संस्कृत भारती लोगों को संस्कृत सीखने का अभियान चलाती है। इसमें आप 10 दिन के संस्कृत संभाषण शिविर में भाग ले सकते हैं। मुझे खुशी है कि आज लोगों में संस्कृत को लेकर जागरूकता और गर्व का भाव बढ़ा है। इसके पीछे बीते वर्षों में देश का विशेष योगदान भी है, जैसे तीन संस्कृत यूनिवर्सिटी को 2020 में सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाया गया। अलग-अलग शहरों में संस्कृत विश्वविद्यालय के कई कॉलेज और संस्थान भी चल रहे है। आईआईटी और आईआईएम के संस्थानों में संस्कृत केंद्र काफी पॉप्युलर हो रहे हैं। साथियों आपने एक बार जरूर अनुभव की होगी, जड़ों से जुड़ने की, हमारी संस्कृति से जुड़ने की, हमारी परंपरा का बहुत बड़ा सशक्त माध्यम होती है हमारी मातृभाषा, जब हम अपनी मातृभाषा से जुड़ते हैं, तो हम सहज रूप से अपनी संस्कृति से जुड़ जाते हैं, अपने संस्कारों से जुड़ जाते हैं, अपनी परंपरा से जुड़ जाते हैं, अपने चिर पुरातन भाव वैभव से जुड़ जाते हैं।"
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