भाजपा ने मनाया "हिन्दू गौरव दिवस" | कल्याण सिंह की दूसरी पुण्यतिथि पर उन्हें दी श्रद्धांजलि

Amit Shah and Yogi Adityanath paying homage to Former Chief Minister Kalyan Singh
पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की दूसरी पुण्यतिथि पर
, अलीगढ़ में गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साथ तमाम केंद्रीय और राज्य मंत्रियों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किये. गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित सभी प्रमुख नेता अलीगढ़ पहुंचे और कल्याण सिंह की स्मृतियों को पुनः जागृत किया। इस अवसर पर गृहमंत्री अमित शाह ने 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए जोर आजमाइश की। उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बाबूजी के सपनों को पूरा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि २०२४ में प्रदेश की सभी ८० जीते भाजपा को जीता कर प्रदेशवासी प्रिय कल्याण सिंह 'बाबूजी' को श्रद्धांजलि दें.

बाबू जी लक्ष्यों को मोदी कर रहे पूरा

अमित शाह ने बताया कि प्रिय कल्याण सिंह 'बाबूजी' ने तीन मुख्य लक्ष्यों को उजागर किया था। पहला लक्ष्य था श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन को गति देना, दूसरा था गरीबों के कल्याण की दिशा में यत्न और तीसरा लक्ष्य था सामाजिक सद्भाव को बनाए रखना। अमित शाह ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान प्रधानमंत्री ने श्रीराम मंदिर का भूमि पूजन किया, जिसका बाबूजी ने सपना देखा था। 2024 में श्रीराम मंदिर एक विशाल भव्य भवन के रूप में उभरेगा। इसी तरह, प्रधानमंत्री मोदी ने गरीबों के कल्याण के लिए भी कई काम किए हैं। उनकी सरकार ने ओबीसी समुदाय के लिए भी कई कल्याणकारी कार्य किए हैं।
अमित शाह ने कहा कि श्रद्धेय बाबूजी के उपलब्धियों को प्रधानमंत्री मोदी आगे ले जा रहे हैं, जैसे कि चूल्हा, बिजली, शौचालय, पीने का पानी, और स्वास्थ्य सुविधाएँ करोड़ों गरीबों के घर तक पहुंचा रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने आजादी के बाद से श्रीराम जन्मभूमि के मसले को उलझाया और आगे बढ़ाते रही, लेकिन मोदी जी ने कोर्ट का फासिला आते ही तुरंत बिना किसी देरी के श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन का आयोजन किया ।
 

शानदार रहा है कल्याण सिंह का राजनैतिक सफ़र

कल्याण सिंह ने अपने राजनीतिक सफ़र की शुरुआत 1962 में अतरौली विधानसभा से की थी, लेकिन पहले चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। बाद में 1967, 1969 और 1974 में वे लगातार अतरौली से विधायक चुने गए। इसके बाद, कल्याण सिंह ने राजनीति में एक ऐसा महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया जिसने उन्हें अन्य नेताओं से अलग कर दिया। वे 1975 और 1977 में आपातकाल के दौरान जेल भी गए। 1977 में चौथी बार चुनाव जीतकर उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री का पद संभाला। उनकी नेतृत्व में भाजपा ने 1980 के चुनाव में हार का सामना किया। 1985 में फिर से विजय प्राप्त करके उन्होंने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का कार्यभार संभाला। 1989 में उन्होंने चुनाव जीतकर नेता विधायक दल बनाया। 1991 में उन्होंने मुख्यमंत्री का पद संभाला और इसके पश्चात् 1993 और 1996 में उन्होंने पुनः नेता विधायक दल का पद और मुख्यमंत्री का पद संभाला। 2000-2001 में उन्होंने राक्रांपा की स्थापना की।
2004 में उन्होंने भाजपा के प्रतिनिधि के रूप में बुलंदशहर से सांसद का कार्यभार संभाला। 2009 में एटा से (निर्दल) सांसद चुने गए। 2014 में उन्होंने राजस्थान के राज्यपाल का कार्यभार संभाला। वे दो बार मुख्यमंत्री रहे और उन्होंने राजस्थान में पांच वर्षों तक और कुछ समय के लिए हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया। कुल मिलाकर, उन्होंने दस बार अतरौली से विधायक का चुनाव जीता। कल्याण सिंह को पिछड़े वर्ग के प्रमुख नेता के रूप में मान्यता दी गई। 1992 में अयोध्या मुद्दे के बाद, उन्हें हिंदुत्व के पक्षधर नेता के रूप में पहचाना गया। उनकी पुत्रवधू प्रेमलता वर्मा को 2004 और 2007 में विधायक के रूप में चुना गया। वर्तमान में, कल्याण सिंह के नाती संदीप सिंह अब तक दो बार अतरौली से विधायक चुने गए हैं और उन्होंने वर्तमान में प्रदेश सरकार में मंत्री के रूप में काम किया है। कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह ने दो बार लोकसभा से सांसद के रूप में उनकी परंपरागत सीट एटा से चुनाव जीता है।

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