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श्रुत: प्राचीन भारतीय शल्य चिकित्सा के जनक और उनके योगदान | Sushruta: Father of Indian Surgery

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महर्षि सुश्रुत: शल्य चिकित्सा के शिल्पकार जब महर्षि सुश्रुत का नाम लिया जाता है, तो यह केवल किसी किंवदंती का नाम नहीं होता, बल्कि इसके साथ सम्मान और श्रद्धा का भाव भी जुड़ा होता है। वे केवल एक चिकित्सक नहीं थे, बल्कि एक शिक्षक, एक सजग पर्यवेक्षक और मानव शरीर के अनुभवों को धैर्यपूर्वक दर्ज करने वाले एक वैज्ञानिक भी थे। उनका महान ग्रंथ सुश्रुत संहिता , एक ऐसे असाधारण मस्तिष्क का प्रमाण है, जिसने शरीर को जिज्ञासा, पद्धति और एक कुशल कारीगर के अनुशासन के साथ समझा। काल और योगदान यद्यपि सुश्रुत के जीवनकाल को लेकर विद्वानों में अभी भी बहस जारी है, लेकिन उनकी रचनाओं का योगदान निर्विवाद है। सुश्रुत संहिता एक शल्य चिकित्सक के संसार, उसके उपकरणों, उसकी पद्धतियों और उसके सिद्धांतों को बड़ी ही स्पष्टता से दर्शाती है। इस ग्रंथ के पन्नों से पता चलता है कि यह केवल अटकलों पर आधारित नहीं, बल्कि यह एक व्यवस्थित और प्रमाणित परंपरा का परिणाम है। एक ग्रंथ नहीं, एक चलता-फिरता चिकित्सालय सुश्रुत संहिता केवल एक चिकित्सा नियमावली नहीं है, बल्कि यह गद्य में लिखा एक चलता-फिरता चिकित्सालय है। इसमें शल्य...