'आई लव मुहम्मद' विवाद: बरेली में उपद्रव, मौलाना की गिरफ्तारी और योगी सरकार का एक्शन मोड

'आई लव मुहम्मद' विवाद

बरेली/लखनऊ, 27 सितंबर 2025: उत्तर प्रदेश में 'आई लव मुहम्मद' अभियान को लेकर उपजे विवाद ने बरेली शहर को अशांति की चपेट में ले लिया है। यह पूरा प्रकरण ईद-ए-मिलाद-उन-नबी (बरावफात) जुलूस के दौरान शुरू हुआ, जो अब राज्य के कई हिस्सों में फैल चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इसे 'पूर्व नियोजित साजिश' करार देते हुए सख्त कार्रवाई की है, जबकि विपक्ष ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। इस लेख में हम पूरे घटनाक्रम को क्रमबद्ध तरीके से समझेंगे, जिसमें मौलाना तौकीर रजा की भूमिका, पुलिस की कार्रवाई, गिरफ्तारियां और उसके बाद की स्थिति शामिल है।

विवाद की शुरुआत: कानपुर से बरेली तक का सफर

यह पूरा प्रकरण 4 सितंबर 2025 को कानपुर में बरावफात जुलूस से शुरू हुआ। जुलूस के दौरान कुछ लोगों ने 'आई लव मुहम्मद' लिखे बोर्ड और तंबू सड़क पर लगाए, जो रामनवमी जुलूस के रास्ते के करीब सैयद नगर, रावतपुर इलाके में थे। हिंदू संगठनों ने इसे 'नई परंपरा' और जानबूझकर उकसावा बताया। 9 सितंबर को कानपुर पुलिस ने 24 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, जिसमें 9 नामजद और 15 अज्ञात थे। पुलिस का कहना था कि यह नई रिवाज शुरू करने की कोशिश थी, जिससे सामाजिक तनाव पैदा हो सकता था।

यह विवाद जल्दी ही उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों जैसे बरेली, मऊ, फिरोजाबाद और यहां तक कि उत्तराखंड व कर्नाटक तक फैल गया। मुस्लिम समुदाय ने इसे धार्मिक भावनाओं का अपमान बताते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू किए। बरेली में इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खान ने 26 सितंबर (शुक्रवार) को 'आई लव मुहम्मद' अभियान के समर्थन में विरोध का आह्वान किया। यह आह्वान जुमे की नमाज के बाद दिया गया, जब हजारों लोग कोतवाली मस्जिद के बाहर जमा हुए और 'आई लव मुहम्मद' लिखे प्लेकार्ड लेकर इस्लामिया ग्राउंड की ओर बढ़े। जब पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, तो भीड़ के साथ झड़प हो गई। भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया, जिसके जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज करके उन्हें तितर-बितर कर दिया।

नवरात्रि के दौरान अशांति: क्यों चुना गया यह समय?

विवाद की टाइमिंग को लेकर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि यह घटना शरद नवरात्रि (2 अक्टूबर से शुरू) के ठीक पहले हुई, जब हिंदू समुदाय त्योहार की तैयारी में लगा होता है। कुछ रिपोर्ट्स और एक्स (X) पोस्ट्स में दावा किया गया है कि मुस्लिम समुदाय द्वारा ऐसे समय पर प्रदर्शन आयोजित करना जानबूझकर उकसावा था, ताकि सामाजिक तनाव बढ़े।

उदाहरण के लिए, बरेली में उपद्रव शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद भड़का, जब भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया। योगी सरकार के अधिकारियों ने इसे 'पूर्व नियोजित' बताया, जबकि विपक्षी नेता जैसे असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि 'आई लव मुहम्मद' कहना कोई अपराध नहीं है। हालांकि, पुलिस का कहना है कि बिना अनुमति के जमा होना और अशांति फैलाना गैरकानूनी था, खासकर जब जिले में धारा 163 बीएनएसएस (सार्वजनिक सभाओं पर प्रतिबंध) लागू थी।

घटनाक्रम: सिलसिलेवार जानकारी

  • 26 सितंबर (शुक्रवार): जुमे की नमाज के बाद बरेली में हजारों लोग जमा हुए। भीड़ इस्लामिया ग्राउंड की ओर बढ़ी, लेकिन पुलिस ने रोका। स्थिति बिगड़ी और पथराव, तोड़फोड़ व गोलीबारी शुरू हो गई। यह अशांति दरगाह-ए-आला हजरत, इस्लामिया ग्राउंड, आलमगीरगंज, सिविल लाइंस, बड़ा बाजार और बांसमंडी तक फैली।
  • पुलिस की कार्रवाई: पुलिस ने लाठीचार्ज, आंसू गैस का इस्तेमाल किया। 22 पुलिसकर्मी घायल हुए, जिसमें 10 गंभीर थे। मौके से हथियार, पत्थर, खाली कारतूस और पिस्टल बरामद हुए।
  • 27 सितंबर (शनिवार): मौलाना तौकीर रजा को उनके घर से गिरफ्तार किया गया। उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया, साथ में 7 अन्य लोग भी शामिल थे। कुल 11 एफआईआर दर्ज की गईं, जिनमें 39 लोग चिन्हित और 2000 से ज्यादा अज्ञात नामजद हैं। 36 लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया।
  • अन्य घटनाएं: मऊ में अनधिकृत जुलूस निकाला गया, वहीं फिरोजाबाद में 32 गिरफ्तारियां हुईं और 14 मोटरसाइकिलें जब्त की गईं।

मौलाना तौकीर रजा की भूमिका और गिरफ्तारी

मौलाना तौकीर रजा को इस मामले में 'मुख्य साजिशकर्ता' बताया जा रहा है। उन पर सोशल मीडिया के जरिए लोगों को जमा करने और उपद्रव भड़काने का आरोप है। गिरफ्तारी के बाद शहर में तनाव बढ़ा, लेकिन पुलिस ने फ्लैग मार्च किया और आरएएफ व आरआरएफ की 12 कंपनियां तैनात कीं। अफवाहों को रोकने के लिए इंटरनेट 48 घंटे के लिए बंद कर दिया गया।

योगी सरकार का सख्त रुख

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 'विकसित यूपी' कार्यक्रम में स्पष्ट चेतावनी दी:

"कल एक मौलाना भूल गए कि राज्य में अब कौन सत्ता में है... अराजकता बर्दाश्त नहीं की जाएगी और भावी पीढ़ियां दंगा करने से पहले दो बार सोचेंगी।"

सरकार ने इसे सुरक्षा पर हमला बताया और सख्त कार्रवाई का वादा किया। बरेली के डीएम अविनाश सिंह, एसएसपी अनुराग आर्य और डीआईजी अजय कुमार साहनी ने भी इसे 'पूर्व नियोजित साजिश' करार दिया।

शांति की अपील और आगे की चुनौतियां

यह विवाद धार्मिक भावनाओं और कानूनी सीमाओं के बीच टकराव का एक संवेदनशील उदाहरण है। जहां एक पक्ष इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बता रहा है, वहीं दूसरा पक्ष इसे उकसावा मान रहा है। पुलिस की त्वरित कार्रवाई से स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है, लेकिन तनाव बरकरार है। सभी पक्षों से शांति की अपील की जा रही है, ताकि त्योहारों का मौसम बिना किसी बाधा के गुजरे। जांच के साथ ही और गिरफ्तारियां होने की भी संभावना है।

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